मस्तिष्क में फिस्टूला का बिना ओपन सर्जरी सफल उपचार
उदयपुर के न्यूरो एवं वेसक्यूलर न्यूरोलोजिस्ट डॉ सीताराम बारठ ने ५३ वर्षीय रोगी के अग्र मस्तिष्क के निचले भाग पर बन रहे फिस्टूला को बिना ओपन सर्जरी, एण्डो वेसक्यूलर एम्बोलाइजेशन प्रक्रिया द्वारा सफल उपचार किया।
उदयपुर निवासी, देवी लाल (उम्र ५३ वर्श) अचानक चक्कर आने के साथ बेहोश हो गए।
आपातकालीन स्थिति में उन्हें गीतांजली हॉस्पिटल में न्यूरोलोजिस्ट डॉ विनोद मेहता के नेतृत्व में भर्ती किया गया। डॉ मेहता द्वारा एमआरआई की जांच कराई गई जिसमें अग्र मस्तिष्क के निचले भाग पर एवं दोनों आँखों के बीच की सिरा पर फिस्टूला था। तत्पश्चात डॉ मेहता ने न्यूरो एवं वेसक्यूलर रेडियोलोजिस्ट डॉ सीताराम बारठ के पास रेफर किया। डॉ बारठ ने सर्वप्रथम रोगी के मस्तिष्क की एंजियोग्राफी जांच की। इस जांच में पाया कि मस्तिश्क की शिरोओं एवं धमनियों के बीच फिस्टूला था। इस फिस्टूला के कारण मस्तिष्क की शिराओं में अत्यधिक दबाव बढ गया था। इससे मस्तिश्क की नस कभी भी फट सकती थी या रोगी की याद्दाष्त जा सकती थी एवं मिर्गी के दौरे पडने शुरु हो सकते थे।
डॉ बारठ ने बताया कि इस बीमारी का उपचार दो प्रकार से संभव है। पहला एण्डो वेसक्यूलर एम्बोलाइजेशन एवं दूसरा ओपन सर्जरी। इस रोगी का प्रथम विधि द्वारा उपचार किया गया। इसमें रोगी के पाँव की नस से छोटी ट्यूब (कैथेटर) को सीधा मस्तिष्क के फिस्टूला तक ले कर गए। तरल एम्बोलिक एजेन्ट की मदद से फिस्टूला और सारी षिराएं जिनसे रक्त उल्टी दिशा में प्रवाहित हो कर फिस्टूला बना रही था को ब्लॉक किया गया। इस प्रक्रिया में ढाई घंटें का समय लगा। यह एक स्थायी इलाज है और निकट भविश्य में भी रोगी को यह बीमारी दुबारा नहीं होगी। रोगी अब ठीक है और इलाज के तीसरे दिन ही उसे हॉस्पिटल से छुट्टी मिल गई।